भारतीय नागरिकता
भारतीय संविधान के अनुच्छेद
भारतीय संविधान के भाग-2 में भारत में नागरिकता से संबंधित उपबंध किए गए हैं, जिसे अनुच्छेद 5 से 11 तक वर्णित किया गया है।
- भारत में ब्रिटेन के समान ही एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है, जबकि अमेरिका में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था है।
- भारत में रहने वाले लोगों में भारतीय नागरिक और विदेशी दोनों तरह के लोग शामिल हैं। नागरिक भारतीय राज्य के पूर्ण सदस्य होते हैं जिन्हें सभी प्रकार के सिविल और राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं। वहीं विदेशी लोग भारत को बाहर किसी अन्य राज्यों के नागरिक होते हैं जिन्हें सभी नागरिक और राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं।
- विदेशी लोग दो तरह के होते हैं, जिन्हें विदेशी मित्र और विदेशी शत्रु की श्रेणियों में रखा जा सकता है। विदेशी मित्र वे हैं जिनके भारत के साथ अच्छे व सकारात्मक संबंध हैं, वहीं जिनके साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं हैं और युद्ध जैसी परिस्थितियां बनी रहती हैं या युद्ध चल रहा होता है, तो वे विदेशी शत्रु की श्रेणी में आते हैं।
संविधान के अनुच्छेद
अनुच्छेद | संबंधित आशय |
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अनुच्छेद 5 | संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता। |
अनुच्छेद 6 | पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार। |
अनुच्छेद 7 | पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार। |
अनुच्छेद 8 | भारत से बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार। |
अनुच्छेद 9 | विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना। |
अनुच्छेद 10 | नागरिकता के अधिकार का बना रहना। |
अनुच्छेद 11 | संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना। |
नागरिकता प्राप्त करने के प्रकार
जन्म से (By Birth)
- कोई व्यक्ति जिसका जन्म 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत में हुआ हो, वह व्यक्ति भारत का नागरिक होगा।
- नागरिकता अधिनियम 1955 में रही खामियों के कारण इसमें संशोधन किया गया और नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 पारित किया गया।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 के अनुसार, 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे सभी बच्चे भारतीय नागरिक होंगे, परन्तु 1 जुलाई 1987 के बाद और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 से पहले जन्मे सभी बच्चे तभी भारतीय नागरिक होंगे जब उस दौरान उनके माता-पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003 के लागू होने के बाद वह बच्चा जिसका माता-पिता भारतीय नागरिक हों और कोई अवैध प्रवासी नहीं हो, उसे भारतीय नागरिक माना जाएगा।
वंश के आधार पर (By Descent)
- कोई भी व्यक्ति जिसका जन्म 26 जनवरी 1950 से 10 दिसंबर 1992 के बीच भारत से बाहर हुआ हो, वह वंश के आधार पर भारत का नागरिक बन सकता है यदि उसका पिता जन्म के समय भारतीय नागरिक हो।
- 10 दिसंबर 1992 को या उसके बाद परन्तु 3 दिसंबर 2004 से पहले यदि किसी बच्चे का जन्म देश से बाहर हुआ हो और जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई भी भारत का नागरिक हो, तो वह बच्चा भारत का नागरिक होगा।
- 3 दिसंबर 2004 के बाद भारत के बाहर जन्मा कोई भी व्यक्ति वंश के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा यदि जन्म से एक वर्ष के भीतर उसका पंजीकरण भारतीय वाणिज्य दूतावास में नहीं कराया गया हो।
पंजीकरण द्वारा (By Registration)
- केंद्र सरकार किसी व्यक्ति को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत (अवैध प्रवासी को छोड़कर) कर सकती है यदि:
- वह भारतीय मूल का व्यक्ति हो जो नागरिकता आवेदन से पहले कम से कम 7 वर्ष तक भारत में रहा हो।
- वह व्यक्ति जिसने भारतीय नागरिक से विवाह किया हो और नागरिकता आवेदन से पूर्व सात साल तक भारत में रहा हो।
- भारतीय नागरिक के नाबालिग बच्चे।
- वह व्यक्ति जिसके माता-पिता भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत हो।
देशीयकरण द्वारा (By Naturalisation)
- कोई विदेशी व्यक्ति जो वयस्क और अच्छे चरित्र का है, और अपने देश की नागरिकता का परित्याग कर भारत सरकार को इसकी सूचना दिया हो।
- नागरिकता आवेदन से पूर्व कम से कम एक वर्ष से लगातार देश में रह रहा हो और इसके पूर्व कुल मिलाकर सात वर्षों तक भारत में रह चुका हो।
- भारत की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित किसी एक भाषा का अच्छा ज्ञाता हो।
नोट: देशीयकरण में दिए गए नियम व शर्तों को एक विशेष उपबंध के तहत छूट दी जा सकती है यदि कोई व्यक्ति विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य, विश्व शांति या मानव विकास के क्षेत्र में विशेष कार्य कर चुका हो और भारत का नागरिक बनने की प्रबल इच्छा रखता हो, तो उसे भारत का नागरिक बनने के लिए भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होगी।
भूमि के अर्जन (समाविष्टि) द्वारा (In Corporation of Territory)
- यदि भारत सरकार द्वारा किसी नए भू-भाग को अर्जित कर भारत में सम्मिलित किया जाता है, तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019
- यह अधिनियम अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या इसाई समुदाय के प्रवासियों के लिए विशेष प्रावधान करता है। इस अधिन
- इस अधिनियम के लागू होने से उक्त प्रवासी भारतीय नागरिकता के पात्र हो गए हैं। यह अधिनियम 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ।
नागरिकता का अंत (Loss of Citizenship)
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता खोने के तीन मुख्य कारण बताए गए हैं:
- किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करने पर
- नागरिकता का परित्याग करने पर
- सरकार द्वारा नागरिकता से वंचित करने पर
भारत सरकार निम्नलिखित आधार पर किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है:
- संविधान के प्रति अनिष्ठा दिखाने पर
- युद्धकाल में शत्रु की सहायता करने पर
- गलत तरीके से नागरिकता प्राप्त करने पर
- किसी भारतीय स्त्री द्वारा विदेशी पुरुष से विवाह करने पर
- लगातार 7 वर्षों तक भारत से बाहर रहने पर
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) किसी राज्य के सभी विधिक नागरिकों का एक अभिलेख है। भारत में स्वतंत्रता के पश्चात की पहली जनगणना के बाद ही NRC के आंकड़े जारी किए गए थे।
दोहरी नागरिकता (OCI)
- दिसंबर 2003 में लक्ष्मीमल सिंधवी समिति की सिफारिश पर नागरिकता संशोधन विधेयक-2003 संसद द्वारा पारित किया गया। इसके द्वारा विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को सीमित रूप में भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसे Overseas Citizenship of India (OCI) कहा गया है, जिसे सामान्यतः दोहरी नागरिकता कहा जाता है।
- डा. एस. एल. एम. सिंघवी की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की अनुशंसा की थी, क्योंकि इसी दिन 1915 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से भारत लौट कर आए थे।
विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया था:
- अनिवासी भारतीय (NRI): ऐसे भारतीय नागरिक जो रोजगार या व्यवसाय के उद्देश्य से वर्ष में 182 दिन अथवा उससे अधिक समयावधि तक विदेशों में रहते हैं और भारतीय पासपोर्ट धारण करते हैं।
- भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO): वे व्यक्ति जिनके पूर्वज या वह स्वयं भारत के नागरिक रहे हैं परंतु वर्तमान में किसी अन्य देश के नागरिक हैं। पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, चीन और बांग्लादेश के नागरिक या कभी रहे लोग भारत मूल के व्यक्ति नहीं माने जाएंगे।
- भारत के समुद्रपारीय नागरिक (OCI): नागरिकता संशोधन अधिनियम 2005 के द्वारा सभी देशों में रह रहे भारतीय मूल के व्यक्तियों को भारत के समुद्रपारीय नागरिक कहा गया है। यह कानून उन देशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए है जिन देशों में स्थानीय कानून के अनुसार दोहरी नागरिकता की व्यवस्था है।